शनिवार, 14 जून 2008

दूध का संयोग


खाद्य पदार्थों के स्वाद मुख्यतः निम्नांकित छः प्रकार के होते हैं-

(1)मधुर अथवा मीठा
(1) अम्ल अथवा खट्टा।
(2) लवण अथवा नमकीन।
(3) कटु अथवा कड़वा।
(4) तिक्त अथवा तीता या तीखा।
(5) कषाय अथवा कसैला।
किसी भी चीज अथवा वस्तु का विरोध उसके रस के कारण होता है, जैसे मीठे रस का नमकीन अथवा खट्टे रस के साथ विरोध है। कुछ वस्तुएँ ऐसी हैं, जो एक दूसरे के काफी विरुद्ध होती हैं और खतरनाक भी। जैस शहद और घी का समान भाग में मिलाना । किसी पदार्थ का मौसम के कारण, गुण के कारण, विपाक अथवा पाच्य के कारम अन्य के साथ सामेंजस्य स्थापित नहीं हो सकता। चीजों के संयोग के संबंध में जितनी गहराई के साथ आयुर्वेद में विचार किया गया है, उतनी गहराई से और किसी पैथी में विचार नहीं किया गया है। जब कुछ प्राकृतिक चिकित्सक तथा चिकित्सा विशेषज्ञ भी जाने-अनजाने संयोग विरुद्ध दूध का सेवन करा देते हैं, तब फिर जनसाधारण की क्या बात करें। दूध का सेवन किसके साथ किया जाय ,यह एक विचारणीय प्रश्न है।

अति प्राचीन काल से ही दाल-चावल या दाल-रोटी का संयोग संभवतः सर्वगुणसम्पन्न समझा जा रहा है। तभी तो अखिल विश्व के लगभग सभी सम्पन्न परिवारों में उपर्युक्त संयुक्त भोजन को बड़े चाव से ग्रहण किया जाता है। किन्तु निर्विवाद रूप से यह संयोग उत्तम नहीं। इसका अनुचित असर विशेषकर मरीजों पर प्रत्यक्ष और अपेक्षाकृत अधिक पड़ता है। जो मछली भी खाते हैं और ऊपर से गुड़, मूंग और मूली, इनमें से किसी के साथ यदि दूध का सेवन किया जाय, तो खून खराब हो जाता है तथा कोढ़ रोग का प्रादुर्भाव होता है। संयुक्त रूप से दो विरोधी चीजों का सेवन करने से मात्र उनके पचने ही अड़चने नहीं आती। वरन् उस विरुद्ध भोजन से रक्त दूषित हो जाता है और उस रक्त में रोग निरोधक शक्ति भी कम हो जाती है तथा कोढ़ जैसा भयंकर रोग भी विरुद्ध भोजन के कारम ही उत्पन्न होता है। काली तुलसी, श्वेत तुलसी, मूली, लहसुन आदि खाकर ऊपर से दूध पीने से कोढ़ रोग उत्पन्न होता है।

दूध एक प्रकार से पूर्ण आहार है, इसलिए किसी भी भोजन के साथ इसे तबी ग्रहम करना चाहिए, जब भोजन अपेक्षाकृत कम किया जाय। भरपेट भोजन करने के बाद ऊपर से दूध पीना बहुत ही हानिकारक होता है। भोजन चाहे कितना ही अच्छा, स्वादिष्ट व सुपच हो, यदि वह अत्यधिक खाया जायगा, तो उससे निश्चित रूप से हानि ही होगी, उससे जीवन शक्ति भी क्षीण होगी और रोगों से लड़ने वाली शक्ति का भी ह्वास होगा । दो विरोधी चीजें आपस में मिलाकर खाने से वात, पित्त व कफ उखड़ जाते हैं, लेकिन बाहर नहीं निकलते। फलतः क्षय, मिरगी, प्रमेह, गुल्म, फोड़े, फफोले इत्यादि रोग उत्पन्न हो जाते हैं, जो मनुष्य को अत्यन्त कष्ट पहुँचाते हैं यद्यपि खीर दूध से बनती है और मठा भी, तथापि खीर खाने के बाद मठा पीना नुकसानदेह होता है । दूध पीकर तुरन्त ही पान नहीं खाना चाहिए। कंगुधान्य, चीनाधआन्य, कुथली, मोठ, उड़द, मटर और तिल इन सबको मिलाकर दूध के साथ मिलाकर नहीं खाना चाहिए माँस और दूध मिलाकर नहीं खाना चाहिए। कटहल, नारियल, बड़हल,ताड़ का फल, अनार, अखरोट, करौंदा, बेर, नीबू, आँवला, जामुन, इमली, कैथ, पीलू, लवली, कमरख इत्यादि सबी प्रकार की खटाई व खट्टे फल एवं काँजी सिरके को दूध में मिलाकर नहीं खाना चाहिए।

स्मरणीय बात यह है कि ऐसी दो चीजें कभी भी न मिलाई जाये, जिनसे उनका स्वाद बिगड़ जाय अथवा किसी भी प्रकार का बिगाड़ पैदा हो जाय । यह बात सर्वसाधारण को भी मालूम है कि दूध में नीबू के रस की केवल दो-चार बूंद टपकाने मात्र से वह तत्काल फट जाता है, अर्थात केसिन (मुख्य अंश) और पानी का अंश अलग हो जाता है। इस प्रकार उसका स्वरूप बदल जाता है। साथ ही उसका स्वाद भी बदल जाता है और विकार भी पैदा हो जाता है। इसलिए यह किसी भी दशा में उत्तम भोजन नहीं हुआ। दूध के साथ नीबू अथवा दूध के साथ नमक मिलाकर खाने से खून में वह विकार या वह अवस्था उत्पन्न होती है कि कोढ़ हो जाता है। वैसे तो मात्र एक-दो दिन खाने से किसी प्रकार की कोई बुराई दिखाई नहीं देगी, लेकिन फिर भी कई दिनों तक लगातार दूध और नीबू या दूध और नमक खाते रहने से धीरे-धीरे रक्त में कमजोरी आएगी। नींबू कैथ, कटहल, बिजौरातेल, तिल की खरी, सरसों , अनार, बेर इत्यादि सभी खट्टे फलों के साथ दूध का विरोध है। इनको दूध में मिलाकर अथवा दूध के साथ ग्रहण नहीं करना चाहिए । यदि धोखे से भी कोई इनको एक साथ या मिलाकर खाता रहे, तो धीरे-धीरे बहरापन अन्धापन, गूंगापन के साथ ही शरीर का रंग भी बदरंग होने लगेका। यह संयोग विरुद्ध भोजन अंततः मनुष्य को मार भी डालता है।

दूध मधुर रस वाला होता है। फलतः मधुर रस वाले पदार्थ ही इसके साथ मिलाये जाते हैं, किन्तु बेल मीठा होते हुए भी इसके साथ नहीं मिलाया जात । दूध-बेल का संयोग अच्छा नहीं है। गुड़ तथा दूध मिलाकर पीने से पेट में कीड़े पड़ते हैं। गुड़ भी कीड़ों को बढ़ाने वाला होता है और दूध भी। दोनों के मिल जाने से इनमें पेट के कीड़े बढ़ाने की शक्ति और बढ़ जाती है। जिनके पेट मे कीड़े हों, उन्हें दूध पीना मना है। दूध पीने से पेट के कीड़े बढ़ते हैं, घटलेनहीं। काकुन, कुटकी और पोई के साथ दूध का विरोध है। इन चीजों के साथ दूध कभी भी नही खाना चाहिए। पत्ते वाले साग, जामुन शराब, रिसका आदि इनमें से किसी के साथ भी यदि दूध का सेवन किया जाय, तो यह संयोग इनता विरुद्ध पड़ता है कि मनुष्य मर भी सकता है।

कोई टिप्पणी नहीं: