शनिवार, 14 जून 2008

स्तनपान कराने वाली माताओं का आहार-विहार



(1) दूध पिलाने वाली माताओं को गर्भ-निरोधक गोलियाँ खाना बंद कर देना चाहिए, कोई अन्य उपाय अपनाना चाहिए। खाने की इन दवाइयों से दूध हो जाता है।
(2) निकोटीन व नशीले तत्व दूध में मिलकर बालक के पेट में पहुँच जाते हैं। इसलिए न तो धूम्रपान करना चाहिए और न ही मद्यपान।
(3) यदि आप पहले से ही सामान्य व संतुलित भोजन ले रही हैं, तो उस क्रमशः थोड़ा-थोड़ा आवश्यकतानुसार और अधिक बढ़ा दीजिए।
(4) सादा और पर्याप्त भोजन कीजिए।
(5) आपके आहार में काफी दालें, फलियाँ, हरे पत्ते वाली सब्जियाँ, मौसमी फल, दूध, दही और पनीर भी होने चाहिए।
(6) दमाटर और संतरे का प्रयोग अधिकाधिक करें।
(7) ज्यादा मिर्च-गरम मसालेदार और तला हुआ भोजन मत कीजिए।
(8) न तो ज्यादा घी लीजिए और न ही अधिक मिठाइयाँ ही खाइए।
(9) तेज आचार मत खाइए ।
(10) पानी पर्याप्त मात्रा में पीजिए।
(11) अपनी दोनों छातियों पर प्रतिदिन हल्की-हल्की मालिश करें और अपने मन में दूधभरी छातियों की प्रबल अभिलाषा पैदा करें।
(12) रात में जल्दी सो जाएँ और सुबह जल्दी उठें।
(13) प्रतिदिन प्रातःकाल घर से खुली हवा में भ्रमण करन के लिए जाएँ।
(14) अपने मस्तिष्क को ज्यादा बोझिल न होने दें। न तो बहुत अधिक चिन्ता करें और न ही आवश्यक से अधिक सोच-विचार । यदि आप विश्राम कम करेंगे और चिन्ता व सोच-विचार अधिक, तो इन सब बातों का दूध पर बुरा प्रभाव पडे़गा।
(15) स्तनपान के प्रति माता की क्या भावनाएँ हैं, इस पर भी पहुत कुछ निर्भर करता है। यदिआप तनाव रहित हैं, आत्म विश्वास से पूर्ण हैं तथा बच्चे को दूध पिलाने में गर्व अनुभव कर रही हैं, तभी उसे दूध पिलाने अन्यथा कदापि नहीं । यदि आप तनावग्रस्त हैं, अपने आप पर भरोसा नहीं है, आक्रोश मन और अत्यन्त क्रोधित दिल व दिमाग से बच्चे को कभी भी दूध न पिलाएँ । अबोध बालक का पवित्र हृदय और निर्मल मन-मस्तिष्क इन जहरीली भावनाओं को नहीं जेल सकता। फलतः कभी-कभार संतान से हाथ धो बैठन तक का खतरा पैदा हो जाए तो भी कोई आश्चर्य नहीं होन चाहिए।

कोई टिप्पणी नहीं: